डीएचएफएल बैंक धोखाधड़ी केस 2022 [DHFL Bank Fraud]

डीएचएफएल बैंक धोखाधड़ी केस 2022, केस क्या है, कब हुआ, कैसे हुआ, [DHFL Bank Fraud, case, biggest bank fraud]

हाल ही में हमारे भारत देश में एक बहुत ही बड़ा बैंक घोटाला (DHFL Bank Fraud) सामने आया है। इस बैंक घोटाले में तकरीबन 17 बैंकों को 34615 करोड रुपए की चपत लगाई गई है। बैंक घोटाला सामने आने के बाद सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के द्वारा दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के पूर्व  चेयरमैन कपिल वधावन,डायरेक्टर धीरज वाधवान और इसके अलावा रियल्टी के फील्ड की तकरीबन 6 कंपनी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने तकरीबन 34,615 करोड रुपए की धोखाधड़ी 17 बैंकों से की है। इस प्रकार इसे इंडिया का सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी का केस माना जा रहा है।DHFL Bank Fraud

डीएचएफएल बैंक धोखाधड़ी केस 2022 (DHFL Bank Fraud)

न्यूज़ एजेंसी ने बताया कि साल 2022 में 11 फरवरी के दिन यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने एक कंप्लेंट दर्ज करवाई थी और उसी कंप्लेंट के आधार पर सीबीआई कार्यवाही कर रही है। वर्तमान के समय में सीबीआई अपनी जांच का फोकस मुख्य तौर पर वधावन बंधु पर लगा कर के रख रही है।

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा जब इस मामले की शिकायत दर्ज करवाई गई तो उसके पश्चात सीबीआई ने कार्यवाही करना चालू किया और अभी तक 50 से भी अधिक लोगों की सीबीआई की एक बड़ी टीम आरोपी व्यक्तियों की मुंबई में मौजूद 12 से भी अधिक आवासों पर तलाशी अभियान चला रही है और मामले की छानबीन कर रही है।

बैंक का कहना है कि विभिन्न व्यवस्था के अंतर्गत आरोपी व्यक्तियों ने साल 2010 से लेकर के साल 2018 के बीच बैंक से तकरीबन 42871 करोड रुपए का लोन लिया था और वह कुछ समय तक इसके लोन को चुका रहे थे, परंतु साल 2019 के बीच में से लोन चुकाने में आरोपी व्यक्तियों के द्वारा देरी की जाने लगी। इस प्रकार जिन बैंक ने आरोपी व्यक्तियों को लोन दिया था, उन बैंकों ने आरोपी व्यक्तियों की कंपनी के अकाउंट को अलग-अलग टाइम पर एनपीए करार दे दिया।

इसके पश्चात जब साल 2019 के जनवरी के महीने में इन्वेस्टिगेशन की प्रोसेस चालू हुई तो साल 2019 के फरवरी के महीने में नेताओं की कमेटी ने केपीएमजी को साल 2015 में 1 अप्रैल से लेकर के साल 2018 में 31 दिसंबर तक डीएचएफएल की विशेष समीक्षा ऑडिट करने के लिए आदेश दिया।

इस ऑडिट रिपोर्ट में यह बात सामने निकल कर के आई की डीएचएफएल (DHFL Bank Fraud) प्रवक्ता के साथ समानता रखने वाली तकरीबन 66 इंस्टिट्यूट को 29,100.33 करोड़ रुपए दिए गए थे और इनमें से तकरीबन 29,849 करोड़ बाकी है। बैंक ने यह भी आरोप लगाया गया है कि जो पैसे लोन के तौर पर बैंक से लिए गए थे, उन पैसों का इस्तेमाल कंपनी और व्यक्तियों ने जमीन खरीदने के लिए किया है, साथ ही विभिन्न प्रकार की प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट करने के लिए किया है।

डीएचएफएल धोखाधड़ी के आरोपी(DHFL Bank Fraud)

डीएचएफएल (DHFL Bank Fraud)धोखाधड़ी के मामले में आरोपियों के तौर पर कपिल वधावन का नाम सामने आ रहा है जो कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड के पूर्व सीएमडी रह चुके हैं। इसके अलावा इस मामले में धीरज वधावन का भी नाम सामने आ रहा है, जोकि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड के पूर्व निदेशक रह चुके हैं, साथ ही साथ यह दोनों डीएचएफएल के प्रमोटर भी रह चुके हैं।

आरोपियों के ठिकानों पर चल रही है तलाशी

इस मामले में केस दर्ज होने के पश्चात सीबीआई की 50 से भी अधिक सदस्यो वाली एक टीम के द्वारा मुंबई में मौजूद आरोपियों के तकरीबन 12 से भी अधिक ठिकाने पर छापेमारी की जा रही है, जिसमें 8 बिल्डर शामिल है। इसके अलावा सुधाकर शेट्टी नाम का बिल्डर भी शामिल है जो कि अमरेलिस रियल्टर्स का मालिक है।

अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में यह बात बताई है कि बैंक का ऐसा कहना है कि कंपनी ने साल 2010 से लेकर के साल 2018 के बीच कंसोर्टियम से ₹42,871 करोड़ की क्रेडिट फैसिलिटी हासिल की थी परंतु साल 2019 के मई के महीने से उन्होंने लोन को चुकाना बंद कर दिया था अथवा लोन चुकाने में देरी करना चालू कर दिया था।

34,615 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप

इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के द्वारा दीवान हाउसिंग फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर कपिल वधावन, कंपनी के डायरेक्टर धीरज वधावन और दूसरी तकरीबन 6 कंपनी के खिलाफ केस को दर्ज किया गया है।

इन सभी लोगों पर यह आरोप है इन्होंने तकरीबन 34,615 करोड रुपए की धोखाधड़ी की है। साल 2022 में 11 फरवरी के दिन जब यस बैंक के द्वारा शिकायत दर्ज करवाई गई थी, तब सीबीआई ने अपनी कार्रवाई चालू की थी और वर्तमान के समय में वधावन सीबीआई की इन्वेस्टिगेशन में जांच के घेरे में आ रहे हैं।

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