महाशिवरात्रि 2023, कब है, व्रत, पूजा विधि (Mahashivratri in Hindi)

महाशिवरात्रि 2023, कब है, महत्व, व्रत, पूजा विधि, कथा, शुभ मुहूर्त, (Mahashivratri in Hindi) (Date, Time, in India)

बाबा महाकाल पर तन मन धन लुटाने वाले भक्तों से बिल्कुल भी इंतजार नहीं हो रहा है, क्योंकि अब उनके प्यारे बाबा महाकाल का दिन अर्थात महाशिवरात्रि आने में मुश्किल से कुछ ही दिन शेष बचे हुए हैं। ऐसे में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने के लिए व्यक्ति अभी से प्रबंध कर ले रहा है। बता दे कि वैसे तो शिवरात्रि हर महीने में आती है जिसका महत्व तो होता ही है परंतु जब बात महाशिवरात्रि की आती है तो सामान्य शिवरात्रि से महाशिवरात्रि का महत्व काफी अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि महाशिवरात्रि मनाने के एक ही नहीं बल्कि कई कारण है। इस दिन कई शुभ घटनाएं घटित हुई थी। यहां तक कि भगवान भोलेनाथ को अपनी जीवनसंगिनी भी इसी दिन मिली थी। आइए इस पेज पर विस्तार से जानते हैं कि “महाशिवरात्रि क्या है” और “महाशिवरात्रि कैसे मनाते हैं” तथा “महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं।”

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Table of Contents

महाशिवरात्रि क्या है? (What is Mahashivratri)

भगवान शंकर को समर्पित महाशिवरात्रि का त्यौहार वैसे तो हर भारतीय के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार होता है, परंतु खासतौर पर हिंदू समुदाय और उस पर भी जो लोग भोलेनाथ के परम भक्त होते हैं उनके लिए यह त्यौहार किसी उत्सव से कम नहीं होता है। साल भर में तकरीबन 12 शिवरात्रि आती है, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण महाशिवरात्रि को माना जाता है तभी तो इसका नाम शिवरात्रि नहीं बल्कि महाशिवरात्रि है। भारत देश के अलावा जहां-जहां भी हिंदू समुदाय के लोग निवास करते हैं वहां वहां पर महाशिवरात्रि का त्यौहार भगवान भोलेनाथ की उपासना के तौर पर मनाया जाता है। कश्मीर के  शैव मत को मानने वाले लोगों के द्वारा इसे हर रात्रि या फिर सामान्य बोलचाल में हैरथ भी कहते हैं।

महाशिवरात्रि 2023 कब है (When Mahashivratri is Celebrated)

महाशिवरात्रि का त्यौहार भगवान भोलेनाथ को समर्पित है जो कि हर साल फागुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। साल 2023 में महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी दिन शनिवार को पड़ रहा है।

महाशिवरात्रि कैसे मनाते हैं (How to Celebrate Mahashivratri)

  • महाशिवरात्रि के मौके पर विशेष तौर पर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया जाता है, जिसके लिए पानी तथा दूध का इस्तेमाल किया जाता है।
  • इस दिन सुबह होते ही भक्त नहा धोकर के पूजा की थाली लेकर के नजदीकी शिव मंदिर में जाते हैं और लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं।
  • अपनी बारी आने पर भोलेनाथ के भक्तों के द्वारा सबसे पहले महाकाल की मूर्ति या फिर शिवलिंग की पूजा अर्चना की जाती है और उसके पश्चात हाथ जोड़कर भगवान से प्रार्थना की जाती है।
  • इस दिन कई लोगों के द्वारा गंगा स्नान भी किया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि महाशिवरात्रि के मौके पर गंगा स्नान करने से व्यक्ति को साक्षात मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
  • महाशिवरात्रि पर लोग शिव जी की पूजा करने के लिए उन पर दूध से अभिषेक करते है साथ ही बेलपत्र भी चढ़ाया जाता है, जोकि महादेव को सबसे अधिक प्रिय होता है।
  • इसके अलावा भोलेनाथ को विभिन्न सुगंधित फूलों की माला भी चढ़ाई जाती है और उसके पश्चात हाथ जोड़कर भगवान भोलेनाथ के साथ ही साथ भगवान विष्णु और सूर्य देवता से भक्त अपने अपने हित की कामना करते हैं।
  • इसके पश्चात भक्तों के द्वारा 3 या फिर 7 बार शिव जी की मूर्ति या फिर शिवलिंग की परिक्रमा की जाती है। भोलेनाथ को बेलपत्र के अलावा इस दिन भांग, धतूरा भी अर्पित किया जाता है।
  • धार्मिक ग्रंथ शिवपुराण के नजरिए से देखा जाए तो महाशिवरात्रि की पूजा में शिवलिंग का अभिषेक शहद और पानी, बेलपत्र, भांग, धतूरा, बेल के द्वारा किया जाता है। कहा जाता है कि यह आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है।
  • भोलेनाथ को दीपक अर्पित किया जाता है जोकि ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।
  • महाकाल को पान भी समर्पित किया जाता है जो कि सांसारिक सुखों के संतोष का अंकन करता है।
  • भोलेनाथ का अभिषेक कर देने के पश्चात उन पर सिंदूर का गाढ़ा पेस्ट लगाया जाता है। ऐसा करने से भक्तों को पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • भोलेनाथ को विभिन्न मीठे फल अर्पित किए जाते हैं जो कि इच्छाओ और दीर्घायु की संतुष्टि को दर्शाने का काम करता है।
  • इसके अलावा भारत में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंग में भी ऊपर बताई गई प्रक्रिया के हिसाब से या फिर और भी विस्तार से पूजा की जाती है।

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है (Why Mahashivratri is Celebrated)

महाशिवरात्रि मनाने के 3 प्रमुख कारण है, जिनकी जानकारी निम्नानुसार है।

महाशिवरात्रि मनाने का पहला कारण (Reason 1)

शिव पुराण में एक कहानी वर्णित है। उस कहानी के अनुसार भगवान भोलेनाथ जब सबसे पहली बार शिवलिंग के तौर पर शिवलिंग वाले स्वरूप में प्रकट हुए थे तो उस दिन महाशिवरात्रि का ही दिन था। ऐसा कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के मौके पर ही भगवान महाकाल का ज्योतिर्लिंग प्राकट्य हुआ था। यह घटना फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुई थी और यही वजह है कि हर साल इसी तिथि को देश और दुनिया में महाशिवरात्रि मनाई जाती है।

महाशिवरात्रि मनाने का दूसरा कारण (Reason 2)

महाशिवरात्रि सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि भगवान भोलेनाथ के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि होती है, क्योंकि इसी दिन भगवान भोलेनाथ को अपनी जीवनसंगिनी मिली थी, जिनका नाम माता पार्वती था। इस प्रकार से भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के विवाह समारोह के तौर पर भी महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। देश में कई ऐसे स्थान है जहां पर इस मौके पर भगवान भोलेनाथ की बारात निकाली जाती है। वही जो लोग भगवान भोलेनाथ में अटूट आस्था रखते हैं उन लोगों के द्वारा इस दिन शिव सवारी निकाली जाती है साथ ही भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के विवाह समारोह को भी संपन्न करवाया जाता है।

महाशिवरात्रि मनाने का तीसरा कारण (Reason 3)

एक अन्य पौराणिक कहानी के अनुसार महाशिवरात्रि के मौके पर ही देश में 12 ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे, जिनके नाम सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग और घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग है। इस प्रकार से 12 ज्योतिर्लिंग प्रकट होने की खुशी में महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है और दीनबंधु दीनानाथ भोले बाबा की पूजा की जाती है।

महाशिवरात्रि के दिन क्या करें (What to do in Mahashivratri)

अधिकतर लोगों के द्वारा महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान भोलेनाथ की भक्ति की जाती है। इसके लिए ध्यान, पूजा और शिव भजन गाकर उत्सव मनाए जाते हैं। आप भी इनमें से कुछ चीजें ट्राई कर सकते हैं जिसकी जानकारी निम्नानुसार है।

उपवास

महाशिवरात्रि पर आप भगवान भोलेनाथ के नाम पर उपवास अर्थात व्रत रख सकते हैं। इससे आप भोलेनाथ की भक्ति भी कर सकते हैं साथ ही साइंटिफिक जानकारी के अनुसार अगर व्यक्ति समय-समय पर उपवास रखता है तो इससे उसकी बॉडी में से जहरीले तत्व बाहर निकल जाते हैं और उसकी बॉडी की शुद्धि होती है। इसलिए आप महाशिवरात्रि पर उपवास ट्राई कर सकते हैं।

ध्यान

ग्रहों के हिसाब से महाशिवरात्रि की रात्रि बहुत ही शुभ मानी जाती है। इसलिए साधु संतों के द्वारा महाशिवरात्रि की रात को ध्यान करने की या फिर त्राटक करने की सलाह दी जाती है। इस प्रकार से आप महाशिवरात्रि के मौके पर जागरण कर सकते हैं या फिर ध्यान कर सकते हैं।

मंत्रोच्चारण

प्रारब्ध में परिवर्तन करने के लिए महाशिवरात्रि के मौके पर आप रुद्राक्ष की माला से ओम नमः शिवाय मंत्र का कम से कम 3 माला अर्थात 324 बार जाप कर सकते हैं। इससे भी भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं साथ ही आपका प्रारब्ध अर्थात आपके पाप भी कटते हैं।

भोलेनाथ का रुद्राभिषेक

भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ अत्याधिक प्रसन्न होते हैं। इसलिए महाशिवरात्रि/शिवरात्रि के मौके पर बड़े-बड़े लोग भी किसी जानकार पंडित के द्वारा रुद्राभिषेक करवाते हैं। इसमें दूध का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि आप चाहे तो शहद के द्वारा या फिर गन्ने के रस के द्वारा भी रुद्राभिषेक कर सकते हैं। अलग-अलग चीजों से रुद्राभिषेक करने से अलग-अलग पुण्य व्यक्ति को प्राप्त होते हैं।

शिवलिंग की उपासना

शिवलिंग सीधे तौर पर भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है। इसीलिए दुनिया में जितना भोले भगवान की मूर्ति नहीं है उससे ज्यादा तो शिवलिंग मौजूद है। यहां तक कि स्वयं राम भगवान ने भी समुद्र के किनारे पर शिवलिंग का निर्माण करके उसकी पूजा की थी। महाशिवरात्रि के मौके पर आप शिवलिंग का अभिषेक कर सकते हैं अथवा शिवलिंग को भांग, धतूरा, बेल पत्र इत्यादि अर्पित कर सकते हैं और भोलेनाथ से जीवन में सकारात्मक लाने की प्रार्थना कर सकते हैं और अपने मन की कामना भी कर सकते हैं।

महाशिवरात्रि का इतिहास (Mahashivratri History)

कहानी के अनुसार सती माता के पिता दक्ष प्रजापति के द्वारा एक हवन का आयोजन करवाया गया, जिसमें दूर-दूर के देवताओं और राजा महाराजाओं को बुलाया गया परंतु भगवान भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया गया, जबकि भगवान भोलेनाथ प्रजापति दक्ष के जमाई लगते थे। जब माता सती को यह बात पता चली कि उनके पति को इस यज्ञ में आमंत्रण नहीं दिया गया है तब वह काफी आश्चर्यचकित हुई परंतु बाप का मान रखने के लिए उन्हें इस यज्ञ में जाना पड़ा। माता सती के यज्ञ की जगह पर पहुंचने के पश्चात उन्हें अपने पिता के मुख से अपने पति की बुराई सुनाई दी।

हालांकि माता सती ने अपने पिता को समझाने का काफी प्रयास किया परंतु दक्ष प्रजापति ने उनकी कोई भी बात नहीं मानी। इस प्रकार से अपने पति की निंदा ना सुन पाने की वजह से माता सती ने वहीं पर मौजूद यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दे दी। जब यह खबर कैलाश पर्वत पर माता सती के पति भोलेनाथ तक पहुंची, तब वह काफी क्रोधित हो गए और उन्होंने तुरंत यज्ञ स्थल पर प्रस्थान किया परंतु तब तक माता सती प्राण त्याग चुकी थी। माता की मृत् बॉडी को देखकर भोलेनाथ अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने माता सती के शव को उठाकर तांडव करना शुरू कर दिया। कहा जाता है कि जिस दिन यह घटना घटित हुई वह फागुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी थी और तभी से महा पुराण के अनुसार उसी तिथि को आज महाशिवरात्रि के तौर पर मनाया जाता है।

मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि (Monthly Shivratri and Mahashivratri)

हर महीने की कृष्ण पक्ष की जो चतुर्दशी तिथि आती है उस दिन शिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। इसे सामान्य बोलचाल की भाषा में मासिक शिवरात्रि कहा जाता है। इस प्रकार से साल में 12 महीने होते हैं और साल में 12 शिवरात्रि के त्यौहार आते हैं। भारतीय पंचांग के अनुसार जब सावन के महीने में चतुर्दशी आती है तो उसे बड़ी शिवरात्रि कहा जाता है। इस प्रकार से सावन के महीने में आने वाली शिवरात्रि का भी काफी अधिक महत्व शिव भक्तों की नजरों में होता है। शिवरात्रि के अंतर्गत जो शिवरात्रि फागुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है, उसे महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस दिन देश के सभी शिव मंदिर में बड़ी धूम होती है।

महाशिवरात्रि का महत्व (Mahashivratri Importance)

हिंदू धार्मिक ग्रंथों को खंगालने के पश्चात इस बात की जानकारी प्राप्त होती है कि इस दुनिया का आरंभ महाशिवरात्रि के दिन ही हुआ था। इसके अलावा पौराणिक कथा पर नजर डाले तो यह पता चलता है कि महादेव के विशाल स्वरूप अग्नि लिंग का उदय भी महाशिवरात्रि के दिन ही हुआ था। यही नहीं महाशिवरात्रि से संबंधित एक अन्य कहानी के अनुसार माता पार्वती से महाकाल की शादी भी इसी दिन हुई थी। महाशिवरात्रि भगवान महाकाल को समर्पित किया हुआ दिन है। इस दिन जब हम भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के लिए बैठते हैं और उनका ध्यान करते हैं तब हमारे मन में एक अलग ही शांति पैदा होती है और हमें ऐसा लगता है जैसे हम यहीं पर बैठे रहे। महाशिवरात्रि हमें अपने अंदर न्याय-इमानदारी पैदा करने का बोध कराता है। इसके अलावा गरीबों की सेवा करने की प्रेरणा भी महाशिवरात्रि देती है, क्योंकि भगवान भोलेनाथ खुद जगत के पालनहार है। ऐसे में उनके भक्तों को भी उनके रास्ते पर चलने का प्रयास करना चाहिए।

महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व (Mahashivratri Scientific Significance)

अगर साइंटिफिक नजरिए से महाशिवरात्रि के बारे में बात की जाए तो महाशिवरात्रि की रात को ही ग्रह का उत्तरी गोलार्ध कुछ इस प्रकार से व्यवस्थित हो जाता है कि इंसानों के अंदर जो एनर्जी का प्राकृतिक रूप है वह ऊपर की ओर जाने लगता है। महाशिवरात्रि एक ऐसा दिन होता है जब प्रकृति के द्वारा इंसानों को उसके आध्यात्मिक शिखर तक ले जाने में सहायता की जाती है। शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के लिए बिल्कुल सीधा होकर बैठना पड़ता है, जिससे हमारी रीढ़ की हड्डियां मजबूत होती है, साथ ही साथ हमें मानसिक शांति भी मिलती है।

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FAQ

Q : महाशिवरात्रि किस महीने में आती है?

Ans : फागुन माह में

Q : महाशिवरात्रि किस तिथि को होती है?

Ans : कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी

Q : शिवरात्रि पर्व क्यों मनाया जाता है?

Ans : शिवरात्रि भोलेनाथ की साधना में मनाया जाता है।

Q : महाशिवरात्रि का मतलब क्या होता है?

Ans : इसकी जानकारी आर्टिकल में प्रस्तुत है।

Q : महाशिवरात्रि पर किसकी पूजा होती है?

Ans : बाबा महाकाल

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