पोंगल का त्यौहार 2023, निबंध (Pongal Festival Essay in Hindi)

पोंगल का त्यौहार 2023,कहां मनाते हैं, कब मनाते हैं, किस राज्य में मनाते हैं,क्यों मनाते हैं,निबंध, महत्व, डेट, तिथि, पूजा विधि, व्रत, कथा, इतिहास (Pongal Festival Essay in Hindi) (Which State, Celebration, History, Date)

हमारे प्यारे भारत वर्ष में साल भर में ढेरों त्यौहार आते हैं, जिनमें से कुछ त्यौहार पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाते हैं, तो कुछ त्यौहार देश के कुछ ही इलाकों में मनाए जाते हैं। पोंगल भी एक ऐसा त्यौहार है, जो अधिकतर हमारे देश के साउथ के राज्यो मे मनाया जाता है। यह त्यौहार सबसे अधिक तमिलनाडु के लोगों के द्वारा सेलिब्रेट किया जाता है। पोंगल का त्यौहार आने में अब कुछ ही दिन शेष बचे हुए हैं। ऐसे में इस त्यौहार के बारे में हर कोई जानना चाहता है और यह पता करना चाहता है कि आखिर पोंगल का त्यौहार क्या है और पोंगल का त्यौहार कैसे मनाया जाता है। आइए इस पेज पर जानते हैं कि “पोंगल क्या है” और “पोंगल कैसे मनाया जाता है।”

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Table of Contents

पोंगल का त्यौहार 2023 (Pongal Festival in Hindi)

त्यौहार का नामपोंगल
अनुयायीहिन्दू, भारतीय, भारतीय प्रवासी
संबंधित धर्महिन्दू
संबंधित राज्यतमिलनाडु
अनुष्ठान:सूर्य भगवान को धन्यवाद, गाय देवता
आरम्भअग्रहायण का अंतिम दिन
समापनपौसा मास की तृतीया तिथि
त्यौहार आने का समयवार्षिक
तारीख15 जनवरी से 18 जनवरी तक

पोंगल का त्यौहार क्या है (What is Pongal Festival)

तमिलनाडु में धूमधाम से पोंगल का त्यौहार मनाया जाता है, क्योंकि यह मुख्य तौर पर तमिलनाडु के रहने वाले हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार माना जाता है। हर साल पोंगल का पर्व लगातार चार दिनों तक सेलिब्रेट किया जाता है। तमिल भाषा में पोंगल का मतलब विप्लव होता है। देखा जाए तो यह एक पारंपरिक रूप से मनाया जाने वाला संपन्नता को समर्पित त्यौहार है। इस त्यौहार के अंतर्गत समृद्धि लाने के लिए बरसात, खेतिहर जानवर के साथ ही साथ सूर्य भगवान की पूजा की जाती है। पोंगल त्यौहार को तकरीबन 1000 सालों से भी अधिक समय से मनाया जा रहा है। तमिलनाडु के अलावा देश के अन्य भाग और उसके साथ ही साथ मलेशिया, श्रीलंका, अमेरिका, कनाडा, मॉरीशस, सिंगापुर तथा जहां जहां पर तमिल समुदाय के लोग रहते हैं, वहां वहां पर पोंगल त्यौहार मनाया जाता है।

पोंगल का नाम पोंगल क्यों पड़ा, अर्थ (Pongal Meaning in Hindi)

इस त्यौहार के मौके पर सूरज भगवान को जो प्रसाद भक्तों के द्वारा चढ़ाया जाता है, उस प्रसाद का नाम पगल होता है। इसीलिए पगल शब्द का अपभ्रंश थोड़ा चेंज करके इसे पोंगल का नाम दिया गया और इस प्रकार से इस त्यौहार को पोंगल कहा जाता है। जब हमने पोंगल शब्द का मतलब तमिल भाषा में जानने का प्रयास किया तब हमें यह पता चला कि इस शब्द का मतलब तमिल भाषा में अच्छी तरह उबालना होता है और जब दोनों ही शब्दों को मिला करके हमने देखा! तो यह बात सामने निकल करके आई कि इस त्यौहार का मतलब होता है अच्छी तरह से उबालकर के सूर्य भगवान को प्रसाद अर्पण करना। पोंगल त्यौहार का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि तमिल महीने के अनुसार यह पहली तारीख को ही शुरू हो जाता है। इसके साथ ही पोंगल का त्यौहार शुरू होने के ठीक पहले जो अमावस्या आती है उसी अमावस्या के मौके पर लोगों के द्वारा बुराई को छोड़कर के अच्छाई को अपनाने की कसम खाई जाती है। इसे पोही कहा जाता है, जिसका मतलब होता है जाने वाली।

पोंगल त्यौहार का महत्व (Pongal Festival Importance)

तमिलनाडु गवर्नमेंट के द्वारा इस मौके पर तमिलनाडु के गवर्नमेंट संस्थानों में छुट्टी प्रदान की जाती है। हालांकि हम आपको यहां पर यह भी बता देना चाहते हैं कि पोंगल त्यौहार का वर्णन हिंदू शास्त्र में प्राप्त नहीं होता है। त्यौहार के मौके पर सूरज भगवान को अनाज, धन का दाता मानकर के 4 दिनों तक त्यौहार सेलिब्रेट किया जाता है और उस सूर्य देवता के प्रति तमिल समुदाय के द्वारा गहरी आस्था प्रकट की जाती है। अगर इस त्यौहार की गहराई में उतरा जाए तो यह पता चलता है कि यह त्यौहार खेती और फसल से संबंधित देवताओं को समर्पित किया गया त्यौहार है। इस त्यौहार को तमिलनाडु जैसे राज्यों में नए साल के रूप में भी लोग सेलिब्रेट करते हैं। तमिलनाडु राज्य में यह त्यौहार “तई” की 1 तारीख से शुरू हो जाता है जिसमें भगवान सूरज और इंद्र देवता की पूजा अर्चना की जाती है। इस त्यौहार को संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। त्यौहार में बरसात, कृषि और धूप से संबंधित चीजों की पूजा होती है। यह त्यौहार हिंदू धर्म से संबंध रखता है।

पोंगल त्यौहार क्यों मनाया जाता है (Why Pongal Festival is Celebrated)

कहां यह जाता है कि दक्षिण भारत का यह त्यौहार संपन्नता को समर्पित त्यौहार होता है। किसानों के द्वारा जब धान की फसल को इकट्ठा कर लिया जाता है, तब घर पर फसल आने की खुशी को प्रकट करते हुए इस त्यौहार को मनाया जाता है। हालांकि यह त्यौहार एक ही दिन नहीं चलता है बल्कि लगातार 4 दिनों तक यह त्यौहार चलता है और हर दिन अलग-अलग देवताओं की पूजा की जाती है। यहां तक कि गाय और उसके बछड़े की भी पूजा पोंगल के त्यौहार के दरमियान की जाती है। इस त्यौहार के मौके पर लोगों के द्वारा आने वाली फसल भी अच्छी हो, इसकी प्रार्थना भगवान से की जाती है साथ ही इंद्र देव, सूर्य देव और जानवर की पूजा त्यौहार में की जाती है।

पोंगल का त्यौहार मनाने के दिन (Pongal Festival Days)

जैसा कि हमने आपको बताया कि पोंगल का त्यौहार लगातार चार दिनों तक मनाया जाता है। इस प्रकार से साल 2023 में पोंगल का त्यौहार 15 जनवरी से चालू होगा और यह 18 जनवरी को खत्म होगा। नीचे इस पर्व की समय सारणी दी गई है।

भोगी पोंगल15 जनवरी
थाई पोंगल 16 जनवरी
मट्टू पोंगल   17 जनवरी
कान्नुम पोंगल   18 जनवरी

पोंगल का त्यौहार कैसे मनाते हैं (How Pongal Festival is Celebrated)

भले ही देश के अन्य इलाके के लोग पोंगल त्यौहार के बारे में अधिक ना जानते हो, परंतु क्या आप जानते हैं कि तमिलनाडु और उसके आसपास के इलाकों में इस त्यौहार को टोटल 4 दिनों तक धूमधाम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है और इन 4 दिनों में जो दिन आते हैं उनमें अलग-अलग नाम होते हैं। यह त्यौहार जनवरी के महीने से शुरू होता है। इनकी जानकारी विस्तार से यहां दी गई है –

  • भोगी पोंगल :- पोंगल त्यौहार के पहले वाले दिन को भोगी पोंगल कहा जाता है। इस दिन को देवराज इंद्र को समर्पित किया जाता है क्योंकि देवराज इंद्र देवता की छबि ऐसी है, जो हमेशा भोग विलास में ही मस्त रहते हैं। इस दिन शाम के समय में लोगों के द्वारा अपने घरों से पुराने कपड़े और कबाड़ को अपने घर से बाहर ला करके एक जगह पर इकट्ठा कर लिया जाता है और फिर उसके बाद उसमें आग लगाकर उसे जला दिया जाता है। ऐसा करके लोग भगवान के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं और बुराइयों का अंत करने की कसम खाते हैं। इसी जलती हुई आग के अगल-बगल रात भर लोगों के द्वारा भैंस के सींग के द्वारा बनाया गया एक ढोल बजाया जाता है जिसे कि भोगी कोट्टम कहते हैं।
  • थाई पोंगल :- पोंगल के दूसरे वाले दिन को सूरज पोंगल या थाई पोंगल कहा जाता है। इस दिन को सूरज भगवान को समर्पित किया जाता है। सूरज भगवान के वास्ते इस दिन एक स्पेशल प्रकार की खीर का निर्माण किया जाता है। इस खीर को बनाने के लिए एक मिट्टी का बर्तन लिया जाता है और उसमें मूंग दाल, गुड और चावल के द्वारा खीर बनाई जाती है और फिर नहा धोकर के लोगों के द्वारा इस खीर को सूरज देवता को समर्पित किया जाता है और उन्हें भोग लगाया जाता है साथ ही सूर्य भगवान को गन्ना भी अर्पित किया जाता है और उन्हें फसल देने के लिए कृतज्ञता व्यक्त की जाती है।
  • मट्टू पोंगल :– इसके बाद पोंगल के तीसरे वाले दिन को मट्टू पोंगल कहा जाता है। तमिल मान्यता के अनुसार भगवान शंकर का एक बैल था जिसे मट्टू कहा जाता था। इसी बैल को शंकर जी के द्वारा भूलवश धरती पर रह करके इंसानों के लिए अनाज पैदा करने के लिए कहा गया और तब से लेकर के भगवान शंकर का वह बैल धरती पर रहकर खेती से संबंधित कामों में इंसानों की सहायता कर रहा है। इस प्रकार से इसी दिन किसानों के द्वारा अपने बैल को नहलाया जाता है और बैल के सिंग में सरसों का तेल लगाकर उसे अलग-अलग चीजों से सजाते हैं और फिर उसके पश्चात बैल की पूजा की जाती है। बैल के साथ ही साथ किसानों के द्वारा गाय और बछड़े की भी पूजा की जाती है, क्योंकि गाय में 33 कोटि देवी देवता निवास करते हैं।
  • कान्नुम पोंगल :– पोंगल के अंतिम दिन अर्थात चौथे दिन को कानूम पोंगल कहा जाता है। लोगों के द्वारा इसे तिरूवल्लूर भी कहा जाता है। इस दिन लोगों के द्वारा अपने घर को सजाने के लिए नारियल के पत्ते और पल्लव का इस्तेमाल किया जाता है। इसके द्वारा तोरण का निर्माण करके उसे अपने घर के मुख्य दरवाजे पर लगाते हैं, वहीं महिलाएं इस दिन घर के मुख्य दरवाजे के बिल्कुल बगल में ही रंग बिरंगे रंगों के द्वारा रंगोली का निर्माण करती हैं। इस त्यौहार का आखिरी दिन होने की वजह से इसी दिन सबसे ज्यादा धूम दिखाई देती है। लोग इस दिन नए कपड़े पहनते हैं और एक दूसरे के घर जाकर एक दूसरे का कुशलक्षेम पूछते हैं और मिठाइयां खिलाकर के एक दूसरे को पोंगल त्यौहार की बधाई देते हैं। तमिलनाडु राज्य में इसी दिन बैलों की लड़ाई करवाने का कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है जिसमें अपने-अपने बैल लेकर के लोग आते हैं और एक दूसरे के बैल से लड़ाई करवाते हैं। इस दिन रात के समय में लोग अपने पूरे परिवार के साथ भोजन करते हैं और साथ ही साथ एक दूसरे को सुखमय साल की शुभकामनाएं देते हैं।

पोंगल त्यौहार की कथा (Pongal Festival Story)

पोंगल की कथा के मुख्य पात्र मदुरई में रहने वाले पति पत्नी कण्णगी और कोवलन है। अपनी पत्नी के कहने पर एक बार कोवलन सुनार के पास पायल बेचने के लिए गया। सुनार ने उसके पश्चात राजा से कहा कि उसके पास एक व्यक्ति पायल बेचने आया था, वह पायल वही पायल है जो रानी पहना करती थी। इसके पश्चात राजा ने कोवलन को पकड़ा कर उसे फांसी की सजा दे दी, जिससे उसकी पत्नी काफी गुस्सा हुई और उसने भगवान भोलेनाथ की कठोर तपस्या की और कण्णगी के द्वारा भगवान भोलेनाथ से राजा और उसके राज्य का खात्मा करने का वरदान मांगा गया। जब राजा की जनता को इस बात की जानकारी पता चली तो राजा के राज्य की महिलाओं ने काली माता की पूजा किलिल्यार नदी के बगल में की और उन्होंने राजा और राज्य की रक्षा के लिए काली माता से कण्णगी में दया जगाने की प्रार्थना की। माता काली के द्वारा पूजा कर रही महिलाओं की पुकार सुनी गई और उन्होंने कण्णगी मे दया का भाव पैदा किया और इस प्रकार से राजा और उसके राज्य की रक्षा हुई, तब से लेकर के काली माता के मंदिर में हर साल इस त्यौहार को धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

पोंगल के मौके पर बनाये जाने वाले व्यंजन (Dishes Make in Pongal Festival)

पोंगल के मौके पर स्पेशल तौर पर चावल और दूध के द्वारा खीर का निर्माण किया जाता है।‌इसके अलावा चावल और दूध के द्वारा ही मिठाई भी बनाई जाती है। खीर अथवा मिठाई में किसमिस, इलायची और काजू बादाम को मिलाया जाता है। इस व्यंजनों को बनाने के बाद सबसे पहले इसका भोग सूर्य देवताओं को लगाया जाता है और उसके पश्चात लोग इसे ग्रहण करते हैं। सामान्य तौर पर इस व्यंजन का निर्माण या तो बरामदे में किया जाता है या फिर आंगन में किया जाता है।

भारत में पोंगल त्यौहार के अन्य नाम (Pongal Festival Name in India)

इस त्यौहार को देश के दूसरे इलाकों में भी मनाया जाता है। हालांकि दूसरे इलाकों में इस त्यौहार का नाम अलग-अलग है जो कि निम्नानुसार है।

त्यौहार का नामराज्य
पोंगलतमिलनाडू
मकर संक्रांतिआंध्रप्रदेश, बंगाल, बिहार, गोवा, कर्नाटका, केरल, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, तेलांगाना और उत्तरप्रदेश
उत्तरायणगुजरात और राजस्थान
माघीहरियाणा और हिमाचल प्रदेश
लोहरीपंजाब
माघ बिहूअसम  
माघे संक्रांति या मकर संक्रांतिनेपाल
शंक्रैनबांग्लादेश
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FAQ

Q : पोंगल का क्या अर्थ है?

Ans : उफान

Q : पोंगल का त्यौहार कौन मनाता है?

Ans : पोंगल त्यौहार तमिलनाडु राज्य में और जहां जहां तमिल आबादी रहती हैं वहां वहां मनाया जाता है।

Q : पोंगल के त्यौहार में किसकी पूजा की जाती है?

Ans : इंद्र देव, सूर्य देव और बैल तथा गाय और बछड़े को समर्पित होता है।

Q : पोंगल क्यों मनाते है?

Ans : पोंगल त्यौहार देवताओं और जानवरों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए मनाया जाता है।

Q : पोंगल का त्यौहार कहाँ मनाया जाता है?

Ans : खास तौर पर इसे तमिलनाडु में मनाया जाता है।

Q : पोंगल किस महीने में मनाया जाता है?

Ans : जनवरी महीने में

Q : पोंगल का पहला दिन किस नाम से जाना जाता है?

Ans : भोगी पोंगल

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