यूपीएस क्या है, फुल फॉर्म (UPS Full Form in Computer in Hindi)

यूपीएस क्या है, फुल फॉर्म, क्या करता है, किसे कहते हैं, प्राइस, बैटरी, फायदे, नुकसान, प्रकार (UPS Full Form in Computer in Hindi) (Tracking, Battery, Price, Types, Benefit, Advantages, Disadvantages)

कंप्यूटर पर काम करने के दरमियान कभी कबार जब बिजली चली जाती है और इमरजेंसी में कोई पावर सप्लाई नहीं होती है तो हमारे आवश्यक काम अटक जाते हैं साथ ही हमारा काफी डाटा भी चला जाता है। इसलिए अक्सर लोग कंप्यूटर के साथ यूपीएस को भी अटैच करके रखते हैं ताकि जब कभी बिजली चली जाए तो कुछ समय तक कंप्यूटर को स्टार्ट रखने के लिए और कंप्यूटर पर आवश्यक कामों को करने के लिए यूपीएस के द्वारा कंप्यूटर को पावर सप्लाई दी जा सके। इस पेज पर हम जानेंगे कि “यूपीएस क्या है” और “यूपीएस का फुल फॉर्म क्या है” तथा “यूपीएस के भाग क्या है।”

what is UPS in hindi

Table of Contents

यूपीएस क्या है (What is UPS)

यूपीएस अर्थात अनइंटरप्टेड पावर सप्लाई एक प्रकार का ऐसा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जो इमरजेंसी की अवस्था में जब कंप्यूटर की मुख्य पावर सप्लाई बंद हो जाती है। तो यह कंप्यूटर को पावर सप्लाई देने का काम करता है, ताकि बिजली चले जाने के पश्चात भी कंप्यूटर बंद ना हो और यूजर लगातार कंप्यूटर पर काम करता रहे। जिस प्रकार से इनवर्टर बिजली को स्टोर करके रखता है उसी प्रकार से यूपीएस भी बिजली को स्टोर करके रखता है और जब कंप्यूटर का इस्तेमाल करने के दरमियान अचानक से इलेक्ट्रिसिटी कट हो जाती है तो कंप्यूटर बंद ना हो इसके लिए यूपीएस काफी काम में आता है। यूपीएस की खासियत यह है कि यह लगातार काम करता रहता है अर्थात इलेक्ट्रिसिटी होने के दरमियान आप कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं तो यह एनर्जी स्टोर करता है और जब इलेक्ट्रिसिटी चली जाती है तो भी यह काम करता है। यूपीएस के अंदर एक बैटरी लगी हुई होती है। इसी बैटरी को बार-बार चार्ज किया जाता रहता है। यही बैटरी पावर देने का काम करती है। जब मुख्य सप्लाई चालू रहती है तो यूपीएस की बैटरी चार्ज होती रहती है। और जब मुख्य सप्लाई बंद हो जाती है तो कंप्यूटर को इमरजेंसी सिचुएशन में पावर सप्लाई देने का काम यूपीएस तुरंत ही करने लगता है। इस प्रकार से बिना अटके हुए कंप्यूटर पर काम किया जा सकता है।

यूपीएस का पूरा नाम (UPS Full Form)

यूपीएस का फुल फॉर्म Uninterrupted Power Supply होता है।हिंदी भाषा में इसे अबाधित विद्युत आपूर्ति अथवा निर्बाध विद्युत आपूर्ति कहा जाता है। किसी भी यूपीएस के द्वारा कितने समय तक लोड को पावर सप्लाई ना होने की अवस्था में पावर दिया जा सकता है यह यूपीएस की बैटरी किस प्रकार की क्वालिटी वाली है इस पर डिपेंड करता है। इसकी बैटरी खराब हो जाने पर इसे सरलता के साथ बदला जा सकता है। मार्केट में विभिन्न ब्रांड के यूपीएस मौजूद है जिनका साइज अलग है और रंग भी अलग है। यूपीएस को आप ध्यान से देखेंगे तो इसमें डिवाइस को बंद करने के लिए ऑन ऑफ स्विच लगा हुआ होता है। वैसे तो यूपीएस कंप्यूटर का महत्व पूर्ण भाग नहीं है परंतु कंप्यूटर के साथ इसका इस्तेमाल करना अधिकतर यूजर के लिए फायदेमंद ही होता है।

यूपीएस के प्रकार (Types of UPS)

यूपीएस के मुख्य तौर पर 3 प्रकार है, क्योंकि इन्हें तीन ही प्रकार में डिवाइड किया गया है, जिनके नाम और जानकारी निम्नानुसार है।

OFFLINE/STANDBY UPS / ऑफलाइन / स्टैंडबाई यूपीएस

इसे आप स्टैंडबाई अथवा बैटरी बैकअप के नाम के तहत भी समझ सकते हैं, जो सबसे सामान्य वाले यूपीएस होते हैं, उसमें ऑफलाइन स्टैंडबाई यूपीएस की गिनती होती है। ऑफलाइन स्टैंडबाई यूपीएस के द्वारा लाइट सर्ज प्रोडक्शन और बैटरी बैकअप दिया जाता है। हमने अधिकतर जो ऑफलाइन स्टैंडबाई यूपीएस देखा हुआ है उसमें मुख्य पावर सप्लाई और बैटरी कंपोनेंट पर चलने के लिए एक स्विच लगा हुआ होता है जो कि अधिकतर बल्क बैटरी कंपोनेंट में होता है। क्योंकि इसके पीछे वजह है कि मुख्य पावर सप्लाई एसी डीसी रेक्टिफायर को जाती है जिसके द्वारा बैटरी को चार्ज किया जाता है और इसके पश्चात यह लोड लेने हेतु आउटपुट में डीसी एसी इनवर्टर में प्रस्थान करती है।

ONLINE/DOUBLE CONVERSION UPS / ऑनलाइन / डबल कन्वर्शन सिस्टम

इसे डबल कन्वर्शन के नाम से भी जानते हैं। इस प्रकार का यूपीएस ऑफलाइन स्टैंडबाई यूपीएस से बिल्कुल ही अलग होता है, क्योंकि ऑनलाइन डबल कन्वर्जन यूपीएस में लगातार डीटी एसी इनवर्टर पावर ऑन ही रहता है जिसका मतलब यह होता है कि मुख्य पावर स्त्रोत और बैटरी कंपोनेंट के मध्य में ट्रांसफर टाइम कोई भी नहीं लगता है। इलेक्ट्रिकल साउंड या फिर मुख्य पावर सप्लाई के बंद हो जाने पर यह बेहतरीन सुरक्षा देता है। इसलिए बड़े पैमाने पर इस यूपीएस का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऑनलाइन यूपीएस में भी मुख्य पावर सप्लाई स्त्रोत नॉर्मल मैनेजमेंट के दरमियान भी एसी डीसी रेक्टिफायर में ज्यादा रहता है। इसलिए इसे हर समय डीसी एसी इनवर्टर से पास होना पड़ता है।

LINE-INTERACTIVE UPS / लाइन-इंटरैक्टिव यूपीएस

इस प्रकार के अनइंटरप्टेड पावर सप्लाई डिवाइस का डिजाइन ऑफलाइन यूपीएस के जैसा ही होता है परंतु विशेषता के मामले में इसकी विशेषताएं काफी हद तक ऑनलाइन यूपीएस से मिलती-जुलती हुई है। अधिकतर इसका इस्तेमाल छोटे पैमाने पर किए जाने वाले बिजनेस में किया जाता है। लाइन इंटरएक्टिव यूपीएस में बैटरी से एसी पावर कनवर्टर लगातार यूपीएस के आउटपुट से जुड़ा हुआ रहता है और जब इनपुट एसी नॉर्मल रहता है तो ऑपरेटिंग इनवर्टर के द्वारा बैटरी को चार्ज दिया जाता है। और जब अचानक से ही पावर सप्लाई कट हो जाती है, तो इसके द्वारा सिस्टम को पावर सप्लाई देना प्रारंभ किया जाता है।

यूपीएस के भाग (UPS Parts)

यूपीएस के जो मुख्य भाग होते हैं उसकी जानकारी हमने नीचे प्रोवाइड की हुई है।

RECTIFIER

अनइंटरप्टेड पावर सप्लाई डिवाइस में रेक्टिफायर नाम की वस्तु लगी हुई होती है। मुख्य सर्किट में जो एसी वोल्टेज आता है उसे डीसी वोल्टेज में बदलने का काम जिसके द्वारा किया जाता है उसे ही रेक्टिफायर कहते हैं।

BATTERY

यूपीएस में लगी हुई बैटरी एक इलेक्ट्रोकेमिकल सेल होती है। इसे बार-बार चार्ज किया जा सकता है और इसके द्वारा ही कंप्यूटर को या फिर किसी भी डिवाइस को इमरजेंसी की सिचुएशन में पावर दी जाती है। बिजली चली जाने के पश्चात बैटरी के द्वारा ही इमरजेंसी की सिचुएशन में पावर सप्लाई दिया जाता है जिसकी वजह से कंप्यूटर निश्चित देर तक पावर ऑन ही रहता है और इस दरमियान यूजर अपने सभी डाटा को सुरक्षित कर सकता है।

INVERTER

रेक्टिफायर के द्वारा जो डीसी पावर सप्लाई इनवर्टर के एसी पावर सप्लाई में भेजी जाती है उसे कन्वर्ट करने का काम इनवर्टर के द्वारा किया जाता है। इनवर्टर के द्वारा ही ऐसी सप्लाई को रेगुलेट किया जाता है और ऐसी सप्लाई को फिल्टर किया जाता है। इसके पश्चात लोड भेजा जाता है।

BYPASS

बाईपास के द्वारा डायरेक्ट तौर पर ऐसी पावर को उत्पन्न किया जाता है और जब ओवरलोड हो जाता है तो ऐसी अवस्था में यह ऑटोमेटिक ही लोड को मुख्य पावर सप्लाई से जोड़ देता है।

यूपीएस कैसे काम करता है (How does UPS Work)

यूपीएस के द्वारा टोटल 4 प्रकार की सुविधा दी जाती है जो कि नीचे बताए अनुसार है।

VOLTAGE SURGES AND SPIKES

कभी-कभी ऐसा होता है कि कंप्यूटर में इलेक्ट्रिसिटी का वेग काफी अधिक होता है। ऐसी सिचुएशन में यूपीएस के द्वारा इस सिचुएशन को संभाला जाता है। अधिक इलेक्ट्रिसिटी का वेग होने की अवस्था में यूपीएस के द्वारा बिजली के वेग को सहन किया जाता है और कंप्यूटर तक सिर्फ उतनी ही बिजली पहुंचने दी जाती है। जितनी कंप्यूटर को आवश्यकता होती है ताकि कंप्यूटर को ओवरलोड की अवस्था में कोई नुकसान ना हो या फिर अधिक बिजली से कोई नुकसान ना हो। कई बार जब कोई डिवाइस अधिक बिजली के वेग को संभाल नहीं पाता है तो डिवाइस में शॉर्ट सर्किट हो जाता है अथवा डिवाइस में खराबी आ जाती है अथवा डिवाइस फ्यूज हो जाता है।

VOLTAGE SAG

कभी-कभी ऐसी भी सिचुएशन पैदा होती है कि कंप्यूटर में बिजली की रफ्तार बहुत ही धीमे होती है जिसकी वजह से कंप्यूटर को सही प्रकार से वर्क करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पावर नहीं प्राप्त होती है। ऐसी सिचुएशन में यूपीएस के द्वारा कंप्यूटर को एक्स्ट्रा एनर्जी दी जाती है अथवा कंप्यूटर को एक्स्ट्रा इलेक्ट्रिसिटी दी जाती है ताकि कंप्यूटर बिना किसी रूकावट के अपना काम सही प्रकार से पूर्ण कर सके और यूजर को भी कंप्यूटर पर काम करने में आनंद आए।

MAIN POWER FAILURE 

जब किसी भी समस्या की वजह से मुख्य पावर सप्लाई बंद हो जाती है या फिर फेल हो जाती है तो इस दरमियान कंप्यूटर को यूपीएस के द्वारा कुछ समय के लिए पावर दिया जाता है, ताकि कंप्यूटर के अंदर जो डाटा है वह सुरक्षित किया जा सके। एग्जांपल के तौर पर अगर अचानक से बिजली कट जाती है तो पावर सप्लाई ना होने की अवस्था में कंप्यूटर बंद हो जाता है परंतु अगर यूपीएस के तौर पर पावर सप्लाई है। तो बिजली मौजूद होने पर यूपीएस की बैटरी चार्ज होती रहती है और बिजली के चले जाने के पश्चात यूपीएस के द्वारा पावर सप्लाई कंप्यूटर को दिया जाता है जिससे कंप्यूटर निश्चित समय तक स्टार्ट रहता है।

FREQUENCY DIFFERENCE

आपने अनुभव किया होगा कि कभी-कभी बिजली कम रहती है तो कभी-कभी ज्यादा रहती है और तब कई लोगों के मुंह से आपने सुना होगा कि बिजली का वोल्टेज ज्यादा है अथवा बिजली का वोल्टेज कम है। जब ऐसा कभी होता है तो कंप्यूटर के अंदर मौजूद पार्ट को नुकसान होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है परंतु अगर कंप्यूटर के साथ यूपीएस लगाया गया है तो इस प्रकार से कंप्यूटर को नुकसान से बचाया जा सकता है। और चाहे बिजली ज्यादा हो चाहे बिजली कम हो, कंप्यूटर को कोई भी नुकसान नहीं होता है, क्योंकि बिजली कम अथवा ज्यादा की प्रॉब्लम को यूपीएस अपने ऊपर ले लेता है और कंप्यूटर को उचित मात्र में पावर सप्लाई देता है।

यूपीएस का काम (UPS Work)

आइए यूपीएस के काम के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं और जानते हैं कि यूपीएस कैसे काम करता है अथवा यूपीएस के काम करने की प्रक्रिया क्या है।

  • अनइंटरेस्टेड पावर सप्लाई डिवाइस के द्वारा कंप्यूटर को प्राप्त होने वाली कम अथवा अधिक वोल्टेज वाली बिजली को रोका जाता है। ताकि कंप्यूटर को किसी भी प्रकार का कोई भी नुकसान ना हो और कंप्यूटर पर सरलता के साथ यूजर अपने कामो को पूर्ण कर सकें।
  • इमरजेंसी की सिचुएशन में कंप्यूटर को बैकअप पावर देना यूपीएस का मुख्य काम है। जब मुख्य पावर सप्लाई फेल हो जाती है तो इस दरमियान यूपीएस के द्वारा ही कंप्यूटर को पावर सप्लाई प्रदान की जाती है ताकि कंप्यूटर इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति अपने डेटा को स्टोर कर सके।
  • कंप्यूटर के अंदर जितने भी पार्ट लगे हुए हैं उन्हें आवश्यकता के हिसाब से पावर सप्लाई देने का काम यूपीएस के द्वारा किया जाता है।
  • अनइंटरप्टेड पावर डिवाइस के द्वारा ही कंप्यूटर को शॉर्ट सर्किट होने से बचाया जाता है।
  • कंप्यूटर में अगर कोई बड़ी समस्या होती है तो ऐसी सिचुएशन में अनइंटरप्टेड पावर सप्लाई डिवाइस के द्वारा अलार्म दिया जाता है ताकि व्यक्ति जल्द से जल्द समस्या को ठीक करने का प्रयास प्रारंभ कर दें और समस्या को ठीक कर दे।

यूपीएस का महत्व एवं फायदे (UPS Importance and Benefits)

अनइंटरप्टेड पावर सप्लाई डिवाइस के द्वारा हमें कौन से फायदे मिलते हैं अथवा अनइंटरप्टेड पावर सप्लाई डिवाइस का महत्व क्या है, आइए इन सभी के बारे में इंफॉर्मेशन हासिल करते हैं।

  • अनइंटरप्टेड पावर सप्लाई डिवाइस के द्वारा लगातार कंप्यूटर में पावर सप्लाई को कंट्रोल करने का काम किया जाता है
  • अगर बिजली चली जाती है तो ऐसी अवस्था में निश्चित टाइम तक यूपीएस के द्वारा कंप्यूटर को पावर सप्लाई दी जाती है ताकि व्यक्ति अपने डेटा को कंप्यूटर में सेव कर सके।
  • यूपीएस लगातार काम करता रहता है और बिजली चले जाने पर कंप्यूटर को इमरजेंसी में पावर देता है।
  • कंप्यूटर के अंदर लगे हुए सभी उपकरणों को जरूरत के हिसाब से यूपीएस के द्वारा पावर सप्लाई दी जाती है।
  • बिजली के कम अथवा अधिक वोल्टेज को हैंडल करने का काम यूपीएस के द्वारा किया जाता है।
  • यूपीएस के द्वारा ही कम अथवा अधिक बिजली के प्रवाह से कंप्यूटर में होने वाले शॉर्ट सर्किट से कंप्यूटर को बचाया जाता है।

यूपीएस के नुकसान (Disadvantages)

आपने आर्टिकल में यूपीएस के एडवांटेज तो जान ही लिए। आइए अब आर्टिकल में यह भी जानते हैं कि यूपीएस के नुकसान क्या है अर्थात यूपीएस के डिसएडवांटेज क्या है।

  • अनइंटरप्टेड पावर सप्लाई डिवाइस को स्थापित करना थोड़ा सा महंगा साबित हो जाता है।
  • यूपीएस में जो बैटरी लगी हुई होती है वह ज्यादा लंबे समय तक नहीं चल पाती है और थोड़े ही समय के पश्चात वह खराब हो जाती है। सामान्य तौर पर आपको एक से डेढ़ साल के अंदर यूपीएस की बैटरी बदलने की आवश्यकता हो जाती है।
  • यूपीएस के बैटरी को चार्ज होने में अधिक समय लगता है। इसलिए इसे लंबे समय तक चार्ज करने की आवश्यकता होती है।

यूपीएस और इनवर्टर में अंतर (Difference b/w UPS and Invertor)

यूपीएस और इनवर्टर में क्या अंतर है, इसके बारे में नीचे डिटेल में जानकारी दी गई है।

  • बिजली चले जाने की अवस्था में यूपीएस के द्वारा बिजली दी जाती है और अधिकतर अनइंटरप्टेड पावर सप्लाई डिवाइस डेस्कटॉप कंप्यूटर के बैकअप लेने के लिए इस्तेमाल में दिए जाते हैं।
  • बैटरी और इनवर्टर एक प्रकार के सर्किट होते हैं जिनके द्वारा डीसी करंट को बिजली में कन्वर्ट किया जाता है और अधिकतर इनवर्टर होते हैं जिनका इस्तेमाल लोग अपने घरों में बिजली के बैकअप के तौर पर करते हैं।
  • सामान्य तौर पर यूपीएस का इस्तेमाल सिस्टम के बैकअप के तौर पर किया जाता है क्योंकि बैकअप पावर सॉल्यूशन पर गिरने के लिए एक माइक्रो सेकंड का समय लगता है। स्विचिंग में देरी होने की वजह से कंप्यूटर का बैकअप लेने के लिए इनवर्टर सहीं नहीं माना जाता है।

यूपीएस बैटरी के प्रकार (UPS Battery Types)

यूपीएस की बैटरी के मुख्य तीन प्रकार है, जिसकी सूची नीचे दी गई है।

Valve Regulated Lead Acid (VRLA)

वर्तमान समय में यूपीएस में इस प्रकार की बैटरी का इस्तेमाल हो रहा है। इसे सील बंद करके किसी भी सिस्टम में लगा सकते हैं। सामान्य तौर पर इस प्रकार की जो बैटरी होती है उन्हें अधिक मेंटेनेंस की आवश्यकता नहीं होती है। इस बैटरी की कीमत कम होती है साथ ही इनकी पावर अधिक होती है और इनमें लोवर इंटरनल रेजिस्टेंस होता है। इसलिए अधिकतर यूपीएस में इनका इस्तेमाल किया जा रहा है। यह बैटरी काफी जल्दी से चार्ज हो जाती है और कम समय में ही अधिक वोल्टेज का करंट देती है।

Flooded Cell या VLA Batteries

इस बैटरी में जो प्लेट होती है वह इलेक्ट्रोलाइट एसिड में डूबी हुई होती है। हालांकि यह बैटरी सील बंद नहीं होती है। इसलिए ऑपरेशन के दरमियान पैदा हुए हाइड्रोजन डायरेक्ट एनवायरमेंट में प्रवेश कर जाते हैं। यह बैटरी जिन यूपीएस में लगी हुई होती है उनमें वेंटीलेशन सिस्टम अधिक दमदार होता है। अधिकतर मामले में इसकी बैटरी बैंक को एक डेडीकेटेड रूम में रखा जाता है। इस प्रकार की बैटरी की उम्र भी काफी अधिक होती है और यह भरोसेमंद यूपीएस बैटरी मानी जाती है।

Lithium-lon Batteries

इस प्रकार की बैटरी में मेटल ऑक्साइड के द्वारा कैथोड बना हुआ होता है और कार्बन ग्रेफाइट के द्वारा एनोड बना हुआ होता है। यह दोनों लिथियम नमक और ऑर्गेनिक सॉल्वेंट्स से बने हुए लिक्विड इलेक्ट्रोटाइप में डूबे हुए होते हैं। डिस्चार्ज के दरमियान बैटरी में आयन का फ्लोर एनोड से होकर के कैथोड की साईड जाता है। अधिकतर जो non-traditional यूपीएस सिस्टम होते हैं उनमें इस प्रकार की बैटरी का इस्तेमाल होता है।

भारत के प्रमुख कंप्यूटर यूपीएस निर्माता (Computer UPS Manufacturer in India)

नीचे हमने कुछ ऐसी बेस्ट कंपनी की लिस्ट दी है जो टॉप यूपीएस मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में शामिल है।

  • APC
  • Microtek
  • Intex
  • Circle Power backup
  • Artis UPS
  • Zebronics
  • Luminous UPS
  • V-GUARD
  • iBall Nirantar UPS.
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FAQ

Q : यूपीएस का फुल फॉर्म क्या है?

Ans : अनइंटरप्टेड पॉवर सप्लाई

Q : यूपीएस का क्या मतलब है?

Ans : कंप्यूटर का एक भाग है

Q : यूपीएस का काम क्या है?

Ans : इमरजेंसी में पावर सप्लाई देना

Q : यूपीएस से क्या-क्या चला सकते हैं?

Ans : कंप्यूटर, डेस्कटॉप, प्रिंटर, छोटे-मोटे पंखे

Q : यूपीएस कितने प्रकार के होते हैं?

Ans : मुख्य तौर पर 3

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